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द गर्ल इन रूम 105–७६

कथा पकड़कर झकझोर दिया।

'अगर अपनी प्यारी फैमिली से तुम्हारी बात पूरी हो गई हो तो हम कुछ काम की बात करें?"

ये तुमने अच्छा नहीं किया, केशव,' जारा ने कहा । "जानता हूं, " मैंने जारा की दोस्त सनम के किचन में कबाब खाते हुए कहा।

हम सनम की आंटी के घर में न्यू ईयर्स ईव की पार्टी में थे।

हालांकि जारा और मैंने अभी ऑफिशियली ब्रेकअप नहीं किया था, लेकिन हमारे रिलेशनशिप में जो तनाव आ गया था, वो बड़ता जा रहा था। हम कभी-कभार ही मिलते थे। और जब मिलते भी थे तो बात कम बहस

ज्यादा करते थे। हर बार हमारी बातें एक ही पॉईंट पर जाकर खत्म होती थीं- हमारा कोई फ्यूचर नहीं है। मैं ना

तो धर्म बदलना चाहता था और ना ही अपने पैरेंट्स को छोड़ना चाहता था। जारा यकीन ही नहीं कर पा रही थी

कि मैंने इस तरह से हथियार डाल दिए हैं। पार्टी में मैंने जारा से कहा कि मैं उससे अकेले में बात करना चाहता हूँ। पूरे घर में सनम का किचन ही एक ऐसी जगह थी, जहां हम शांति से बात कर सकते थे।

"तुम जो नशे में मुझे हर हफ्ते फोन लगा देते हो, वही अपने आपमें कोई कम बुरी बात नहीं, लेकिन तुम मेरे

डैड को कैसे फ़ोन लगा सकते हो?' जारा ने कहा। उनका नंबर मुझसे गलती से लग गया था।

‘और जब उन्होंने फ़ोन उठाया तो तुम उन्हीं पर चीखने-चिल्लाने लगे?" मैं उससे नज़रें नहीं मिला रहा था। तीन दिन पहले नशे की हालत में ग़लती से लग गए एक कॉल का

नतीजा यह रहा था कि सफ़दर लोन को उनका दामाद बनते-बनते रह गए एक राजस्थानी युवक के मुंह से कुछ

शानदार गालियां सुनने का मौका मिल गया था। मैंने सब कबाड़ा कर दिया था और मेरे पास कोई बहाना भी

नहीं था। और इसके बावजूद में मूर्खता के साथ अपना बचाव किए जा रहा था। वो मुझे घूरती रही। मैं बेवकूफों की तरह मुस्करा दिया। हां, उस समय में ऐसा कर सकता था। तब मैं नहीं जानता था कि ये लड़की मेरे लिए क्या मायने रखती है। या यह कि सालों बाद में इस लड़की से बात तक करने के

लिए कितना तरसने वाला हूं।

'तुम्हारे डैड इसी के लायक हैं, ' मैंने कहा। 'क्या?"

"क्या उन्होंने मुझे धमकी नहीं दी और तुमने मिलने को मना नहीं किया? मैंने तुम्हें बताया था कि उन्होंने

मुझे फोन करके क्या कहा था।'

"तो क्या मैंने तुमसे मिलना बंद कर दिया, केशव

"नहीं।"

"क्या मैंने तुमको यह सोचने के मौके नहीं दिए कि हमें क्या करना चाहिए?' "हां, लेकिन अब तुम मुझको अवॉइड करने लगी हो।"

"क्योंकि तुम्हारे पास हमारी सिचुएशन को लेकर कोई जवाब नहीं है। ऐसे में यही बेहतर है कि हम एक-

दूसरे से दूर रहें।' 'जस्ट लाइक दैट

"ये जस्ट लाइक दैट नहीं है। ये बहुत मुश्किल है। केशव राजपुरोहित, मैंने एमआईटी की वो स्कॉलरशिप है यह

तुम्हारे लिए छोड़ी। मैंने आईआईटी केवल इसलिए जॉइन किया, ताकि तुम्हारे करीब रह सकूं। तुम्हें लगता मेरे लिए जस्ट लाइक बैट है?"

"ओह, तो अब मुझे ही गिल्टी फील करना चाहिए? तुमने मेरे लिए स्कॉलरशिप छोड़ी, इसलिए मुझे भी

अपना धर्म और अपने पैरेंट्स को छोड़ देना चाहिए?'

मुझे तुम्हारी यह टोन पसंद नहीं है, केशव।' 'मुझे इसकी परवाह नहीं।'

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